सही इन्फ्लुएंसर कैसे चुने: ब्रांड के लिए एक बड़ी चुनौती और समाधान

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग आज के समय में एक खास मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बन गई है. लेकिन सही इन्फ्लुएंसर को चुनना एक चैल्लेंजिंग काम हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि कैसे ब्रांड इन्फ्लुएंसर को चुनते हैं.

Ekta Singh Updated: September 12, 2024 11:56 AM IST

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग आज के समय में एक खास मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बन गई है. लेकिन सही इन्फ्लुएंसर को चुनना एक चैलेंजिंग काम हो सकता है. तो आइए जानते हैं, कि कैसे ब्रांड इन्फ्लुएंसर को चुनते हैं. इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में सफलता के लिए सही इन्फ्लुएंसर को चुनना जरूरी है. ब्रांड को अपने टारगेट ऑडियंस को अच्छी तरह से समझना चाहिए और उससे मेल खाने वाले इन्फ्लुएंसर की तलाश करनी चाहिए. इसके अलावा, इन्फ्लुएंसर के साथ एक अच्छा पार्टनरशिप बनाने के लिए विश्वास होना बहुत जरूरी हैैं.

टारगेट ऑडियंस की पहचान

  • ब्रांड identity: सबसे पहले ब्रांड हमको यह डिसाइड करना होता है, कि उसका टारगेट ऑडियंस कौन है. उम्र, लिंग,इंटरेस्ट, स्थान आदि जैसे फैक्टर्स पर ध्यान दिया जाता है.
  • ऑडियंस एनालिसिस: ब्रांड अपने टारगेट ऑडियंस की ऑनलाइन एक्टिविटीज को एनालिसिस करता है. वह कौन से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं, किन विषयों में इंटरेस्ट रखते हैं, आदि.

इन्फ्लुएंसर को शॉर्टलिस्ट कैसे करें

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म: इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक आदि जैसे प्लेटफॉर्म पर मिल सकते हैं.
  • हैशटैग का य़ूज: ब्रांड से रीलेटेड हैशटैग काइस्तेमाल करके संभावित इन्फ्लुएंसरों की खोज की जाती है.
  • इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग प्लेटफॉर्म: कुछ प्लेटफॉर्म अलग तरह से इन्फ्लुएंसरों को खोजने और उनके साथ काम करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.

इन्फ्लुएंसर का evaluation

  • ऑडियंस एनालिसिस: इन्फ्लुएंसर के ऑडियंस को एनालिसिस किया जाता है. यह देखना होता है, कि उनका ऑडियंस ब्रांड के टारगेट ऑडियंस से कितना मेल खाता है.
  • इंगेजमेंट रेट: इन्फ्लुएंसर की पोस्ट पर कितनी इंगेजमेंट होती है, यह देखा जाता है. लाइक्स, कमेंट्स और शेयर के नम्बर्स बहुत जरूरी होती है.
  • कंटेंट क्वालिटी: इन्फ्लुएंसर द्वारा बनाए गए कंटेंट की क्वालिटी को इवैल्यूए किया जाता है. यह देखना होता है कि कंटेंट कितना अट्रैक्टिव, मूल्यवान और ब्रांड के साथ मेल खाता है.
  • ब्रांड के साथ coordination: इन्फ्लुएंसर की पर्सनालिटी और ब्रांड के इमेज में कितना तालमेल है, यह भी देखा जाता है.

इन्फ्लुएंसर के साथ कॉन्टैक्ट

आउटरीच: एक बार जब पोटैनसियल इन्फ्लुएंसरों के लिस्ट तैयार हो जाते है, तो ब्रांड उनसे कांटेक्ट करता है.

कैंपेन proposal: इन्फ्लुएंसर को कैंपेन के बारे में जानकारी दी जाती है, और सहयोग के लिए इनवाइट किया जाता है.

Conversation: ब्रांड और इन्फ्लुएंसर के बीच बातचीत होती है, जिसमें कैंपेन के डिस्क्रिप्शन,पेमेंट, और अन्य शर्तों पर चर्चा की जाती है.

कॉन्ट्रैक्ट और कोलैबोरेशन

कॉन्ट्रैक्ट: दोनों के बीच बातचीत हो जाने पर, ब्रांड और इन्फ्लुएंसर के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट तैयार किया जाता है.

कैंपेन की प्री-प्लानिंग: कैंपेन का फ्रेमवर्क तैयार किया जाता है, जिसमें कंटेंट कैलेंडर, पोस्टिंग शेड्यूल, और डिस्प् मैट्रिक्स शामिल होते हैं.

कोलैबोरेशन: इन्फ्लुएंसर ब्रांड के लिए कंटेंट बनाता है और अपने ऑडियंस तक पहुंचाता है.

इन्फ्लुएंसर के प्रकार

  1. मेगा इन्फ्लुएंसर: लाखों फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसर
  2. मिड-टियर इन्फ्लुएंसर: दस हजार से एक लाख फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसर
  3. माइक्रो इन्फ्लुएंसर: हजारों फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसर
  4. नानो इन्फ्लुएंसर: सौ से हजार फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसर